रविवार, 13 दिसंबर 2015

बघेली साहित्यbagheli sahitya हेमराज हंस : बिटिया

बघेली साहित्यbagheli sahitya हेमराज हंस : बिटिया:                         बिटिया   ठुम्मुक ठुम्मुक जाथी स्कूले ड्रेस पहिर के बइया रे। टाँगे बस्ता पोथी पत्रा बिटिया बनी पढ़इया रे। । खेलै...

बिटिया

                       बिटिया 
ठुम्मुक ठुम्मुक जाथी स्कूले ड्रेस पहिर के बइया रे।
टाँगे बस्ता पोथी पत्रा बिटिया बनी पढ़इया रे। ।
खेलै चन्दा, लगड़ी, गिप्पी, गोटी, पुत्ता -पुत्ती । 
छीन भर मा मनुहाय जाय औ छिन भर माही कुट्टी। ।
बिट्टी लल्ला का खिसबाबै ''लोल बटाइया रे''। ।
ठउर लगाबै अउजै परसै करै चार ठे त्वारा।
कहू चढ़ी बब्बा के कइयां कहु अम्मा के क्वारा। ।
जब रिसाय ता पापा दाकै पकड़ झोठइया रे।
बिन बिटिया के अंगना अनमन घर बे सुर कै बंसी।
बिटिया दुइ दुइ कुल कै होतीं मरजादा बड़मंसी। ।
हमरे टोरिअन काही खाये जा थै दइया रे।
भले नही भइ भये मा स्वाहर पै न माना अभारु।
लड़िका से ही ज्यादा बिटिया ममता भरी मयारू। ।
पढ़ी लिखी ता बन जई टोरिया खुदै सहय्याँ रे।
कन्यन कै होइ रही ही हत्या बिगड़ि रहा अनुपात।
यहै पतन जो रही 'हंस ' ता कइसा सजी बरात। ।
मुरही कोख से टेर लगाबै बचा ले मइया रे। ।
हेमराज हंस --9575287490
(आकाशवाणी रीवा से प्रसारित )

बुधवार, 9 दिसंबर 2015

बघेली साहित्यbagheli sahitya हेमराज हंस : वा गुलदस्ता मा धरे है गोली बम बारूद।।

बघेली साहित्यbagheli sahitya हेमराज हंस : वा गुलदस्ता मा धरे है गोली बम बारूद।।: ख़बरदार होइ के मिल्या बहुत न मान्या सूध।  वा गुलदस्ता मा धरे है गोली बम बारूद। ।  हेमराज हंस       9575287490

वा गुलदस्ता मा धरे है गोली बम बारूद।।

ख़बरदार होइ के मिल्या बहुत न मान्या सूध। 
वा गुलदस्ता मा धरे है गोली बम बारूद।। 
हेमराज हंस       9575287490 

शुक्रवार, 4 दिसंबर 2015

उइं बड्डे 'धरमराज 'हें जुऑ खेला थें।

उइं बड्डे 'धरमराज 'हें जुऑ खेला थें। 
परयाबा के खोधइला म सुआ खेला थें। । 
दुआर से कहि द्या कि सचेत रहैं 
आज काल्ह केमरा से घुआ खेला थें। । 
हेमराज हंस

बघेली साहित्यbagheli sahitya हेमराज हंस : जेही सब मानत रहें सबसे जादा सूध।

बघेली साहित्यbagheli sahitya हेमराज हंस : जेही सब मानत रहें सबसे जादा सूध।: बघेली दोहा  जेही सब मानत रहें जादा निकहा सूध । ओखे डब्बा म मिला सबसे  पनछर  दूध। । हेमराज हंस ==

बघेली साहित्यbagheli sahitya हेमराज हंस : 'नल तरंग 'बजाउथें बजबइया झांझ के।

बघेली साहित्यbagheli sahitya हेमराज हंस : 'नल तरंग 'बजाउथें बजबइया झांझ के।: 'नल तरंग 'बजाउथें बजबइया झांझ के।  देस भक्ति चढ़ा थी फलाने का साँझ के।  ।  ''वीर पदमधर ''का य पीढ़ी नही जानै  ओख...

हम कविता लिखय का व्याकरण नही बांची।

हम कविता लिखय का व्याकरण नही बांची। 
काहू का लिहाज   औ  आकरन नही बाँची। । 
हम देखी थे समाज के आँसू औ पीरा 
छंद लिखय का गण चरण नही बाँची। । 
हेमराज हंस ===

जेही सब मानत रहें सबसे जादा सूध।

बघेली दोहा 

जेही सब मानत रहें जादा निकहा सूध
ओखे डब्बा म मिला सबसे  पनछर  दूध।
हेमराज हंस ==

गुरुवार, 3 दिसंबर 2015

'नल तरंग 'बजाउथें बजबइया झांझ के।

'नल तरंग 'बजाउथें बजबइया झांझ के। 
देस भक्ति चढ़ा थी फलाने का साँझ के। । 
''वीर पदमधर ''का य पीढ़ी नही जानै 
ओखे बस्ता म हें किस्सा हीर राँझ के।
पूंछी अपना बपुरी से कि कइसा जी रही 
जेही कोऊ गारी दइस होय बाँझ के। । 
उनही ईमानदार कै उपाधि दीन गै 
जे आँधर बैल बेंच दइन काजर आंज के। । 
हंस य कवित्त भर से काम न चली 
चरित्त का चमकाबा पहिले माँज माँज के। । 
हेमराज हंस ---