रविवार, 2 अगस्त 2015

बघेली साहित्य हेमराज हंस : शोषण करते जाति का स्वयं जाति के लोग। । हेमराज हंस...

बघेली साहित्य हेमराज हंस : शोषण करते जाति का स्वयं जाति के लोग। । हेमराज हंस...: बने हितैषी घूमते रचते नाना ढोंग।  शोषण करते जाति का स्वयं जाति के लोग। ।  हेमराज हंस

शोषण करते जाति का स्वयं जाति के लोग। । हेमराज हंस


बने हितैषी घूमते रचते नाना ढोंग। 
शोषण करते जाति का स्वयं जाति के लोग। । 
हेमराज हंस 

बघेली साहित्य हेमराज हंस : कवि हेमराज हंस जाति वाद उनके लिए सत्ता क...

बघेली साहित्य हेमराज हंस : कवि हेमराज हंस जाति वाद उनके लिए सत्ता क...: जिसने कभी विकास पर दिया तनिक न ध्यान।  जाति   वाद   उनके  लिए  सत्ता का सोपान। ।   हेमराज हंस 9575287490 

कवि हेमराज हंस जाति वाद उनके लिए सत्ता का सोपान। ।


जिसने कभी विकास पर दिया तनिक न ध्यान। 
जाति   वाद   उनके  लिए  सत्ता का सोपान। ।
  हेमराज हंस 9575287490  

शुक्रवार, 24 जुलाई 2015

BAGHELI SAHITYA: by hemraj hans---अफजल को फाँसी मिली राष्ट्राध्यक्ष...

BAGHELI SAHITYA: by hemraj hans---अफजल को फाँसी मिली राष्ट्राध्यक्ष...: दोहा  'हंस ' योग्यता का सदा रहा सुखद परिणाम।  अफजल को फाँसी मिली राष्ट्राध्यक्ष कलाम। ।  हेमराज हंस   9575287490

by hemraj hans---अफजल को फाँसी मिली राष्ट्राध्यक्ष कलाम। ।

दोहा 

'हंस ' योग्यता का सदा रहा सुखद परिणाम। 
अफजल को फाँसी मिली राष्ट्राध्यक्ष कलाम। । 
हेमराज हंस   9575287490 

बुधवार, 22 जुलाई 2015

जो खेलने के आदी है रोटियों के कौर से।

मुक्तक 

जो खेलने के आदी है रोटियों के कौर से। 
अपने जिगर के टुकड़े को देखा है गौर से। । 
अपने अपने पेट के साहब बने हुये 
वो स्वार्थी परमार्थी बनते है और से। । 
हेमराज हंस  9575287490 

BAGHELI SAHITYA: kavi hemraj hans जिसकी छाती दहक रही है उसके अंतर म...

BAGHELI SAHITYA: kavi hemraj hans जिसकी छाती दहक रही है उसके अंतर म...: मुक्तक  जिसकी छाती दहक रही है उसके अंतर मन से पूंछ।  वृक्ष कटे जिन अरमानों के तू उस नंदनवन से पूंछ। ।  सुविधाओ से लवारेज है फिर भी च...

kavi hemraj hans जिसकी छाती दहक रही है उसके अंतर मन से पूंछ।

मुक्तक 

जिसकी छाती दहक रही है उसके अंतर मन से पूंछ। 
वृक्ष कटे जिन अरमानों के तू उस नंदनवन से पूंछ। । 
सुविधाओ से लवारेज है फिर भी चैन नदारत है 
सुखा दिया है क्यों तेरा सुख उत्तर अपने धन से पूंछ। । 
  हेमराज हंस   9575287490